Daily Archives: ઓક્ટોબર 2, 2016

जहां तक हो आताश्री दिलमे रख आला खयालोको हसद मगरूरी दिलमेंसे निकल देनेके काबिल है

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ज़ेरे लिखी गई नग़मा लिखने वाला नाजां सोलापुरी है नग़मा का अर्थ होता है गीत और नाजां का अर्थ होता है घमंडी अभिमानी
न हरममे न सुकूँ मिलता है बुतखानेमे चैन तो मिलता है साक़ी तेरे मय खाने में . हराम = क़ाबा ,मस्ज़िद ///बुतखाना = मूर्ति घर , मन्दिर सुकूँ = आनंद प्रमोद /// साक़ी = शराब पिलाने वाली // मयखाना = मदिरालय
आज अंगुरकी बेटीसे मुहब्बत करले
शेख साहबकी नसीयतसे बग़ावत करले
अंगुरकी बेटी = शराब //नसीयत = उपदेश // बग़ावत = बलवा गद्दर . ///
इसकी बेटीने उठा रख्खी है सर पर दुनिया
येतो अच्छा हुवा अंगूरको बेटा न हुवा
कमसे कम सूरते साकीका नज़ारा करले
आके मैखानेमें जीनेका सहारा करले
सूरते साक़ी= साकीका चेहरा // नज़ारा = दृश्य
आँख मिलतेही जवानीका मज़ा आएगा
पितो अंगूरके पानीका मज़ा आए गया
मौसमे गुलमे तो पिनेका मज़ा आता है
पिने वालोकोही पिनेका मज़ा आता है
आ इधर झुमके साकीका लेके नाम उठा
देख वो अब्र उठा तूंभी ज़रा जाम उठा
अब्र = बादल /// जाम = शराबक प्याला
पीनेवाले तुझे आजाएगा पिनेका मज़ा
इसके हर घूंटमें पोशीदा है जिनका मज़ा
पोशीदा = छिपा हुवा
इसको पीनेसे तबियतमे रवानी आये
इसको बूढा भी , जो पिले तो जवानी आये ,
रवानी = प्रवाह , खून दौड़ने लगे
इसके हर घूंटमे “नाजां ” है निहां दरिया दिली
इसको पीनेसे आता होती है इक ज़िंदा दिली
निहां = गुप्त //दरियादिली = विशाल हृदय
नाजां = शायरका नाम है जिसका अर्थ नहोताहै . घमंड अभिमान /// ज़िंदा दिली = खेल दिली
किसी समझदार शायरका कहना हैकि …
शराब खुदही शराबीका खून पीती है
शराबीओंसे जाके पूछो क्या उस पर बीती है
सायगल , राज कपूर , खन्नाने अच्छी इज़्ज़त कमाई
मयकश होजानेके सबबसे अपनी जान गंवाई ….संतो भाई समय बड़ा हरजाई
मयकश = शराबी
इस्लाममें शराब पीनेकी मनाई फ़रमाई गई है . हिंदुओंकी कायदाकी बुक मनु स्मृति में लिखा है की शास्त्रोमे पांच महापाप बताये गए है , जिसमे एक पाप शराब पीना है और दूसरा पाप शराबीकी पांच साल तक सतत संगती करने वाला भी पापका भागीदार है पापी है . खुदा खैर करे और सबका पाप क्षमा करे