Daily Archives: સપ્ટેમ્બર 4, 2016

आता साहबका भजन

એક કવિતા આપને  વાંચવા માટે આપું છું  .જે ઉર્દુ શબ્દો   વાળી છે  , અને તે ભક્ત કવિ દાસીજીવણ  ના ભજન “કરમન  ભજનનો  વેપાર  જી ”  ની રીતથી  ગાઈ શકાશે    .
सुबहान तेरी कुदरतपे क़ुर्बानजी
क़ुदरतपे  क़ुर्बान देखि मैंने  सबमे तेरी शान   ….सुबहान  १
अजब ग़ज़बका देख तमाशा  होगया मैं हैरानजी
अनासरका  बना खिलौना  रामने फूंकी जान   …सुबहान   २
इस दुनियामें जब तूं  आया   भूल गया भगवानजी
कुड कपटसे धन कमाके  होगया तू धनवान   ….सुबहान  ३
रामको बन्दा जब तूं  भुला सरपे चढ़ा शैतानजी
खराबातोमें  जा जा करके  हो गया तूं हैवान  …सुबहान ४
बूढा हुवा कमज़ोर हुवा तब सहने पड़े अपमानजी
क़ज़ा  आके ले जाएगी तब पड़ा रहेगा सामान   …सुबहान   ५
कर साहबकी   बंदगी प्यारे   छोड़ तेरा अभिमानजी
“आताश्रीकी ” विनती  सबको करो स्त्रियोंका सनमान ..सुबहान  ६
सुबहान = पवित्र  , भगवान //अनासर  = मूल तत्व
खराबात  = कुकर्मना अड्डा  , मदिरालय  , वैश्यालय   . वगेरे
क़ज़ा = मृत्यु