आताश्रीकी हरजाई शतक कविताका भाग #४

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दरखतके रंग बदलजाते  है  जबकि पतझड़   आई
समय आने पर इन्सानोके  ख्याल  बदलते जाई  ….संतो भाई   ..५१
बैठ जातीथी आगोशमे  मेरे लब पे लब लगाई
दाढ़ी मुछकी देख सफेदी  भागी मुंह मचकोडाई   …संतो भाई .५२
 प्याजका  था जब बुरा ज़माना  कोग मुफ्त ले जाई
वोही प्याज़ अब  महँगी हो गई  ग़रीबसे   खाई न जाई  …संतो भाई   ५३
 अति पापिष्ट जमारो पाराधि   धीवर और कसाई
दुनिया मांसाहारको  छोड़े  सब होव सुख दाई  …संतो भाई  ..५४
पापी जनका पाप धोनेको स्वर्गसे गंगा आई
वोही  गंगा अब मैली  हो गई  कौन करेगा सफाई  ..संतो भाई  ..५५
भागयका  लिखा मिटता नहीं है  किसीसे न फर्क  कराई
विभीषका लंका मिली और मारुती  तेल लगाई   ..संतो भाई  ..५६
मोह माया अरु  मन मरजावे   अपना जिस्म मरजाई
 आदत तृष्णा  आशा न मरती  प्राण  जाए तब जाई  …संतो भाई। .५७
रंजो  मसाइबकी  परवा  नहीं रखता मैं भाई
हौसले रखता हु मेरे दिलमे  कष्ट  उठा  ले जाई  …संतो भाई  ..५८
विद्या वनिता और  कोई बेली  जात न पूछने  जाई
जो रहे नित उसीकी  संगतमे  ताहि में लिपटाई   ..संतो भाई  ..५९
सायगल  राज कपूर  खन्नाने इज़्ज़त  अच्छी कमाई
मयकश  होजानेके सबबसे  अपनी  जान  गवाई  ..संतो भाई   ..६०
चेलेष्टि अबदलाका  पति  था मेरा वेवाई
पोष्टिक खुराक नहीं खानेसे  मगजकि  शक्ति  गंवाई   …संतो भाई  ६१  .
 मगजकि  शक्ति  अच्छी थी  तब  काव्य तुरत  बनजाई  
अब  वो बातें  गुजर चुकी है  मगजने शक्ति गंवाई  ..संतो भाई  .६२ 

8 responses to “आताश्रीकी हरजाई शतक कविताका भाग #४

  1. NAREN જુલાઇ 12, 2016 પર 9:59 પી એમ(pm)

    आफरीन साहेब बहोत खूब सुन्दर रचना , खूब सत्य कहा ,

  2. pragnaju જુલાઇ 13, 2016 પર 4:30 એ એમ (am)

    मेरी दुनिया,, मेरे जज़्बात..♥
    हकीक़त कहो तो उनको ख्वाब लगता है,
    शिकायत करो तो उनको मजाक लगता है,
    कितने सिद्दत से उन्हें याद करते है हम……
    और एक वो है ….

    जिन्हें ये सब इत्तेफाक लगता है.!!
    ________________________________________
    सुहाना मौसम और हवा मे नमी होगी,
    इन आँखों में आशुंओ की बहती नदी होगी,
    मिलना तो हम तब भी चाहेगे आपसे……
    जब आपके पास वक्त और हमारे पास
    सासों कि कमी होगी.!!

  3. Vimala Gohil જુલાઇ 13, 2016 પર 1:46 પી એમ(pm)

    बात कमाल की और सच बताई,नमस्कार आताजी,
    सबूत मील गया आताजीके दिमाग का साबूत होनेका….

    • aataawaani જુલાઇ 13, 2016 પર 11:29 પી એમ(pm)

      પ્રિય વિમલા બેન ગોહિલ અને પ્રિય રમેશ ભાઈ ગોહિલ
      તમારાં જેવાં સ્નેહીઓ મારી મગજ શક્તિ નબળી નહીં પડવા દ્યે એવું લાગે છે .મારી હરજાઈ શતક સો કડિયું વટાવી ગયું . છેલ્લી 103મી કડી
      लाप स्टर कहे हम खेलते थे गहरे महसागरकि माँई
      अगले जन्मके दुश्मन ने हमें लोगोको दिया खिलाई … १०३
      सन्तोभाई समय बड़ा हरजाई
      મારું થાપાનું હાડકું ભાંગી જવાના કારણે શારીરિક નબળાઈ પણ ભોગવું છું . એટલે વોકરની મદદ વગર એક ડગલું પણ ચાલી શકતો નથી . મારા બર્થ ડે ના દિવસે સ્વામિનારાયણ મન્દીરના પ્રોગ્રામમાં હું નાચવા મઁડી ગયો હતો . આતાના તમને આશીર્વાદ

      • aataawaani જુલાઇ 16, 2016 પર 7:47 એ એમ (am)

        પ્રિય વિમળાબેન અને અન્ય મિત્રો મારી आताश्रीकि हरजाई कविताका भाग #4 મા જે અઘરા શબ્દો છે તેનો હું અર્થ લખું છું , વિમળાબેન ને એવું લાગે કે પ્રશ્નો પૂછીને આતાને ક્યાં હું તકલીફ આપું એટલે તેઓ મને પ્રશ્નો ન પૂછે તો હું વગર પૂછે અઘરા શબ્દોના અર્થ લખું છું મને આશા છે કે તમને ગમશે .कड़ी #५१ दरख्त = झाड़ //पतझड़ = पानखर///कड़ी #५२ आगोश = खोलो
        लब -= होठ कड़ी #५४ धीवर = मच्छियारो /// कड़ी #५७ जिस्म = शरीर कड़ी #५८ रंज = दू :ख
        मसाइब =आपत्ति , कष्ट ///होसला = हिम्मत कड़ी #६० मयकश = दारुडिया // सबब = कारण
        चेलेष्टि अब्दला आता की वेवांण ख्रिस्ती अरब

आपके जैसे दोस्तों मेरा होसला बढ़ाते हो .मै जो कुछ हु, ये आपके जैसे दोस्तोकी बदोलत हु, .......आता अताई

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