Daily Archives: જુલાઇ 12, 2016

आताश्रीकी हरजाई शतक कविताका भाग #४

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दरखतके रंग बदलजाते  है  जबकि पतझड़   आई
समय आने पर इन्सानोके  ख्याल  बदलते जाई  ….संतो भाई   ..५१
बैठ जातीथी आगोशमे  मेरे लब पे लब लगाई
दाढ़ी मुछकी देख सफेदी  भागी मुंह मचकोडाई   …संतो भाई .५२
 प्याजका  था जब बुरा ज़माना  कोग मुफ्त ले जाई
वोही प्याज़ अब  महँगी हो गई  ग़रीबसे   खाई न जाई  …संतो भाई   ५३
 अति पापिष्ट जमारो पाराधि   धीवर और कसाई
दुनिया मांसाहारको  छोड़े  सब होव सुख दाई  …संतो भाई  ..५४
पापी जनका पाप धोनेको स्वर्गसे गंगा आई
वोही  गंगा अब मैली  हो गई  कौन करेगा सफाई  ..संतो भाई  ..५५
भागयका  लिखा मिटता नहीं है  किसीसे न फर्क  कराई
विभीषका लंका मिली और मारुती  तेल लगाई   ..संतो भाई  ..५६
मोह माया अरु  मन मरजावे   अपना जिस्म मरजाई
 आदत तृष्णा  आशा न मरती  प्राण  जाए तब जाई  …संतो भाई। .५७
रंजो  मसाइबकी  परवा  नहीं रखता मैं भाई
हौसले रखता हु मेरे दिलमे  कष्ट  उठा  ले जाई  …संतो भाई  ..५८
विद्या वनिता और  कोई बेली  जात न पूछने  जाई
जो रहे नित उसीकी  संगतमे  ताहि में लिपटाई   ..संतो भाई  ..५९
सायगल  राज कपूर  खन्नाने इज़्ज़त  अच्छी कमाई
मयकश  होजानेके सबबसे  अपनी  जान  गवाई  ..संतो भाई   ..६०
चेलेष्टि अबदलाका  पति  था मेरा वेवाई
पोष्टिक खुराक नहीं खानेसे  मगजकि  शक्ति  गंवाई   …संतो भाई  ६१  .
 मगजकि  शक्ति  अच्छी थी  तब  काव्य तुरत  बनजाई  
अब  वो बातें  गुजर चुकी है  मगजने शक्ति गंवाई  ..संतो भाई  .६२