Daily Archives: જુલાઇ 11, 2016

आताश्रीका हरजाई कविताका भाग #

सबकोई सहायक सबल जनोके  निर्बलको न  सहाई
पवन झगावत  अगन ज्वाला  दीपक देत बुझाई   …संतो भाई   ..३१
अपसरकि आशासे  बूढ़ा तपस्या करने जाई
अप्सरा न आई ठंडी  आई  सख्त जुकाम हो जाई  ….संतो भाई   ३२
जब तक रहो दुनियामे ज़िंदा:काम करो मेरे भाई
इतना ज्यादा :काम न करना  काम तुझे खा जाई  …संतो भाई   ..३३
लिखना पढ़ना काव्य बनाना येतो है चतुराई  
काम क्रोध अरु मनबश  करना अति कठिन है भाई   …संतो भाई   ३४
 समदरको मीठा करदेना कार्य कठिन संतो साईं
अपने आपको मीठा करनेमे है अति कठिनाई  ..संतो भाई  ३५
प्रेमका रस्ता बहुत कठिन है पूरा न होने पाई 
फंस गया मजनू घोर जंगलमे फरहाद न पर्वबत  लाई ..संतो भाई  .. ३६
गर्भमे था जब तू माताके रक्षा  करती माई
बीबी बच्चे पैदा हुवे तब माको दिनी विदाई    …संतो  भाई  ३७
भक्ति अंतकाल  काम आएगी  बात अच्छी बतलाई
परवश होके मरते देखे  काम न आई भक्ताई  …संतो भाई  ३८
चडस शराबकी बुरी आदत  है  जल्दी न छूटी जाई
उसका संग करने वालोको  जल्द क़ज़ा ले जाई  ..संतो  भाई  ३९
अच्छे काम करो दुनियामे  इच्छो सबकी भलाई
  दिन जनोंको  मदद करो तुम  छोडो दिलकी बुराई   …संतो भाई  ४०
निहाँ रख अपने लुत्फको  बाबा किसे कहो हरसाई
हासिद तो जल जाएंगे  लेकिन तुझको देंगे जलाई   …संतो भाई  ..४१
गरजके दोस्तों हो जाते है  गरज पतेचले जाई
सच्चा दोस्तजो होगा तेरा साथ रहेगा सदाई  …संतो भाई। .४२
प्रेमका तन्तु अति नाजुक  है  मत तोड़ो झटकाई
तुटनेसे  फिर जुड़ता नहीं है  जुड़े तो गाँठ पडजाई   …संतो  भाई  ४३
नंगा भूका  सो रहताथा  जब थी तुझे  गरीबाई
अब वो दिन   तेरे  पलट  गए है  मत करना कंजु साईं   ..संतो भाई   ..४४
शेरको दण्डवत  प्रणाम करें और  चूहा डराने जाई
ऐसे भी इन्सान होते है  लोमड़ी जैसे भाई   ..संतो भाई  ४५
पतिव्रता पहने  टूटे वस्त्र  वैश्या सुभट सोहाई
दूध बेचनको  घर घर भटके  बैठे  मद्य  बिकाई  ..संतो भाई  ..४६
कंप्यूटरमें  लिखता था   तिन  भाषामें कविता बनाई
गिर  पड़ा   सीमेंट  कॉन्क्रीट  ऊपर  hip की  हड्डी टूट जाई  ,,,संतो  भाई   ४७
बगैर  मरजिके यहां  हैयात  मुझे ले आई 
न होगी मेरी  इच्छा  फिरभी  एक दिन  क़ज़ा  ले जाई  …संतो भाई  ४८
पराधीनको  सुख नहीं मिलता  याद रख्खो  मेरे भाई
चन्द्र  शंकरके सर पर रहता  पतला होता जाई  ..संतो भाई    ४९
चित्ता मुर्दा  मनुष्य देहको आगमे देती जलाई  
चिंता ज़िंदा : जिस्म बशरको  धीरेसे  देती जलाई   …संतो भाई  ५० 

आताश्रीकि हरजाई कविताका भाग #२

प्रभाशंकर  जोशी उमरमे छोटा था मेरा वो भाई
कठिन समस्या हल करके वो  अफ्रीका अमेरिका जाई   ….सन्तोभाई   ११
  पानी  भरकर बर्तन  सरपर  दौडकि हुई  हरिफाई
 जवां लड़कियां  पीछे रह गई  भानु पहली आई   …सन्तोभाई  १२ 
पानीका  झग़डा पोलिस लाइन में   होताथा  मेरे भाई
दल्पतरामने भानुमतिकि  नलसे दोल हटाई   …सन्तोभाई   १३
रणचण्डी  बन भानुमतिंे ने  अपनी दोल उठाई
दलपतरामके  सरमे ठोकी  लहू लुहान हो जाई  ….सन्तोभाई   १४
अब वो भानु चल नहीं सकती  निर्बल  होती जाई
अपने हाथों  खा नहीं  सकती कोई खिलावे तो खाई   …सन्तोभाई  १५
दो हज़ार सात अगस्तकि  जब दूसरी तारीख  आई
इस फानी दुनियाको  छोड़के भानने लीनी विदाई   …सन्तोभाई    १६
भानुमति  जब स्वर्ग गई तब उदासीनता  छाई
गोरी  लड़की आन  मिली तब(परवरदिगारने  मेरी मायूसी  हटानेके  लिए  भेजा) मायूसी चली जाई। ..सन्तोभाई  …१७
नंगे पाऊ बकरियां  चराई  कॉलेज डिग्री पाई
कोलगेटने  उसकी बुध्धि  परख कर नई नई शोध करवाई   …सन्तोभाई  ..१८
घरमे बैठके लिखता पढ़ता यार्डमे  करता सफाई
सुरेश जॉनीने  उसकी कलाको  मुल्क मशहूर  करवाई   ..सन्तोभाई   ..१९
गोरधन भाई पोपटने एक दिन सिंहण मार गिराई
जब गोरधन भाई निर्बल  हो गए थे  मख्खी  उड़ाई न जाई  …संतो भाई   २०
एक गुजराती पटेल सपूतने   श्रीजीसे  माया लगाई 
श्रीजी  आके  ह्रदय बिराजे तब कई मंदर  बन जाई  …संतोभाई   २१
भगवान एक्टरने अपनी अलबेला  मूवी बनाई
नाम कमाया  दाम कमाया अंत करुण हो जाई  …सन्तोभाई   २२
ग्रीस देशके  सिकन्दरको समयने जित करवाई
जब गयथा छोड़के दुनिया  खाली हाथों   जाई  …सन्तोभाई   २३
स्टेशन ऊपर नरेंद्र मोदी बेचता था वो चाई 
समयने उसको साथ दिया तो  वडा प्रधान  बन जाई  ..संतो भाई   २४
काले कर्म तुनेबहोत किए थे  जब थे बाल काशाई   .
अब तुझको  सुधरजना  होगा बालने सफेदी दिखाई   …संतो भाई  २५
देख तपस्या  विश्वामित्रकी  इंद्रको इर्षा  आई
इन्द्रने  भेजी अप्सरा  मेनका  तपस्या  भंग  हो जाई  ..सन्तोभाई   २६
ऋतुमती  मेनका ऋषिको भेटि  जोरसे बाथ भिड़ाई
मेनका ऋषि विश्वा मित्रसे गर्भवती   हो जाई  …सन्तोभाई   ..२७
शकुंतलाका  जन्म हवा तब  ऋषिको देने आई
ऋषिने साफ़ इनकारकिया तब  कण्व  मुनिके पास जाई  …सन्तोभाई  ..२८
छोटी शकुंतला  कण्व मुनिके आश्रममें  जब आई
कामधेनुका दूध पि करके  जल्द जवां  हो जाई  …संतोभाई   …२९
जवां शकुंतला  फुलवाडिमे  फूल चुँटनेको जाई
हवा आकर्षित  राजा दुष्यंत  गांधर्व  लग्न हो जाई  …संतोभाई   ..३०

भक्ति अंत काल काम आएगी बात अच्छी बतलाई ,परवश होके मरते देखे काम न आई भक्ताई


हड्डी मेरी टूट जानेके बाद अशक्ति आई  ,हौसलातो   है  मुझको यारो शरीरमे शक्ति नाई
आजकलके युवको  क्या करते है  ज़िंदगी भरमे कमाई   ,डिग्री लेते नौकरी  करते पिंशन  खाके मरजा ई
क्यारी बनाके केसरकि उसमे पिस्ता डाला  जाई   ,अंगूरी रसका पानी पिलाओ  प्याजकी गंध न जाई

मासर का  कभी गर्व न करना  न करना अदेखाई   ,ये है  तेरे जनि दुश्मन  धीरेसे  खा जाई
पडोशी तक पहचाने नहीं  जगमे कैसी बढ़ाई   ,साहसका कोई काम न किया हो  फोगट जिनगी गवाई
 जीनकारी  मार फाड़ और चोरी जैसी बुराई  ऐसे कुकर्म  छोड़ देनेसे  अपनी होगी भलाई
खार चुभनेसे  सारी जमिनको चमड़ा कैसे मढ़ाई   ,चमडकि जूती पहनो  वो खारसे  देगी बचाई
सिर्फ अपनहि ख्याल करके जिए  तो हम क्या  जिए भाई   ,ज़िंदादिली का तकाज़ा  एहै  ोरोके लिए जीते जाई
वामन  बनके   बलिराजासे प्रभुने किनी गदाई  ,कायनात लीनी तिन कदमोमे नाम  वामन रह जाई
अति बरिस्का बरसना न अच्छा  अति अच्छा  न धुप भाई   ,अति बशरका  बोलना न अच्छा  अति भली न चुपकाई 
फुलको खबर है मरजनेकि फिरभी हस्ते जाई  , मर्दुमको  मालुम है मरना रोकर जीवन बिताई 
ہدڈی میری ن ٹوٹ جانیکے بعد اسوھکتی ای  
حوصلہ    ہے   مر  ا     دل  مے  یارو   شریرنے  تکت  گواہی
 آجکلکے یوک  کیا کرتے ہے  زندگی بھرمی کمائی  ،  ڈگری لیتے  نوکری کرتے پنشن خاکے مر جی
کیاری بناکے کسرکی  اسمے پستا ڈالا جائی  انگور رثکا پانی پلاؤ  پیازکی گندہ ن جی
مصرکا  کبھی گرو ن کرنا نکرنا ادکھائی یہ ہے تیرے   جانی  دشمن  دھرسے  کھا جی
ہمسایہ پہچانے نہی  تو جگمے کیسی بدھi  ا     سہاسکا  کوئی کام کیا نہ ہو فوگٹھ زندگی گواہی
زنکاری مار فاد ور چوری جیسی برائی ایسے ککرم  چھوڈ دینےسے اپنی ھو چبھں  اپناہی   
وامن بنکے بلیراجسے  پربہنے کنی گدائی  کاینات لینی ٹن کدمومے  نام وامن رہ جی
اتی باریسکا  برسانا ن اچچھ اتی اچچھ دھوپ    نے  اتی بشر  کا بولنا ن اچچھ  ن اچھچھی چپکے      فلوکو خبر  ہے مرجنیکی  fi٩r بھی ہستے جی  مردمکو مالم ہے  مرنا فربہی ہستی جی