Daily Archives: જુલાઇ 8, 2016

आताश्रीकि हरजाई कविताका भाग #१

पलवन्ते पसतरा  निरे मानवा :  घ्ननन्ति   राक्षसांन 
कपय :  कर्म कुर्वन्ति  कालस्य कुटिला गति :
समय  समय  बलवान है  नहीं पुरुष बलवान
काबे लुंठी गोपिका  यही अर्जुन यही बान
 अब में जो भजन लिखने जारहा हुँ वो  संत तुलसी दासजिका भजन  “भजो  मन राम चरण सुख दाई   ”  और भक्त कवि सुरदसका  भजन  “नाथ कैसे गजको  बंध  छुड़ायो ”  इस ढंगसे  गाया जा सकेगा   .
संतो भाई  समय बड़ा हरजाई   समयसे कौन बड़ा  मेरे भाई
संतो भाई समय बड़ा हरजाई   ….१
राम अरु लछमन  बन बन भटके संगमें  जानकी माई
कांचन मृगके पीछे दौड़े  सीता हरण  कराई  ….संतो भाई  ….  २ 
सुवर्ण मयि ंलंका रावनकी   जाको समंदर  खाई
दस मस्तक बिस भुजा कटाई  इज़्ज़त  खाक मिलाई  ….सन्तोभाई      ३ 
राजा युधिष्ठिर  द्यूत क्रिडामें   हारे अपने भाई
राज्यासन  धन सम्पति हारे  द्रौपदी  वस्त्र हराई  …संतो भाई    ..४
योगेश्वरने  गोपी गणको  भावसे दिनी विदाई
बावजूद  अर्जुन था  रक्षक बनमे गोपी लुंटाई  …सन्तोभाई .५
जलाराम की  परीक्षा करने प्रभु आये वरदायी 
साधुजनकि  सेवा करने पत्नी दिनी वीर बाई  …सन्तोभाई  ..६
आजादीके लिए बापूने  आ हिंसक लदत चलाई
ऐसे बापूके सीने पर हिंसाने  गोली चलाई  ,, संतो भाई  ७
देशिंगा दरबार नौरंगसे गदा निराश न जाई
समा पलटा जब उस नौरंगका बस्तीसे भिक मंगाई  …संतो भाई   ८
 विक्रमके दादाकि तन्खा   महकी बारा रुपाई
 विक्रम  खुदकी एक मिनितकि बढ़ कर बारा रुपाई   …संतो भाई   ९
तान्याकी  ग्रेट  ग्राण्ड मधरथी  नामकी जवेर बाई
हज़ारो नग़में उसकी जुबां पर कैसे  हो हरी फाई। …संतो भाई   १०