Daily Archives: જૂન 18, 2016

है बहारे बाग़ दुनिया चंदरोज़

flying
हे बहारे बाग़ दुनिया  चंद रोज़  देखलो इसका तमाशा  चंद  रोज़
अये मुसाफिर  कुचका  सामान कर ,इस जहां में है बसेरा चंद रोज़  १
फिर तुम कहाँ  और मैं कहाँ अये दोसतो
साथ मेरा और तुम्हारा चंद रोज़   २
पूछा लुकमान से जिया तू कितने रोज़
दस्ते मलकर हँसके  बोल चंद रोज़   ३
बादे मदफुन  कबरमे  बोली क़ज़ा
अब यहां पे  सोते रहना  चंद रोज़   ४
क्यों स्टेट हो दिल बे जुर्म को
ज़ालिमो ये है ज़माना चंद रोज़   ५
याद कर तू अय”ज़फ़र “कब्रोके रोज़
जिन्दगीका है भरोसा चंद रोज़   ६
ہے بھرے باغ  دنیا چند روز
 دخلو اسکا تماشا چند ڑوذ ١
ے  مسافر کچکا سامان کر
اس جہاں  مے ہے بصرہ چنک روز  ٢
 فر تم کہاں اور  مے کہاں  ے دوستو
ساتھ میرا اور تمارا  چند روز  ٣
پوچھ  لکمان سے جیا تو کتنے روز
دستے ملکر ہنسکے بولا چند روز  ٤
 بعد-ا مدفون  کبرمے  بولی قزا
اب یہاں پی سوتے رہنا  چند روز  ٥
کیو اسٹیٹ ہو ڈیلے بے جرمکو
ظالمو یہ ہے زمانہ چندروز ٦
ये में जोभी लिखता हुँ ये सिर्फ  मेरे मनोरंजन के  लिए है  हो सकता है की  इसमें कोई गलती  भी हो  आप मेरी गलती बताके मुझे सुधारनेका मौका दे