मेरे नग़मा के चंद कलाम पेश है आपकी खिदमत में .

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देख  तपस्या  विश्वा मित्रकी   इंद्रको  इर्षा आई
इन्द्रने  भेजी अप्सरा  मेनका  तपस्या भं हो  जाई   … सन्तोभाई
 ऋतुमती मेनका  ऋषिको भेटि जोरसे बाथ भिड़ाई
मेनका ऋषि  विश्वामित्रसे  गर्भवती  हो जाई  ….सन्तोभाई
शकुन्तलक् जन्म हुवा तब ऋषिको देने आई
ऋषिने साफ़ इंकार किया  तब  कण्व  मुनिके पास जाई  …सन्तोभाई 
छोटी शकुंतला  कण्व मुनिके   आश्रम  में  जब आई 
काम धेनुका  दूध पि करके  जल्द बड़ी हो जाई  ……सन्तोभाई
सब कोई सहाय  करें  बलवानको  निरबलको  न  सहाई
पवन झगावत  अगन ज्वाला  दीपक देत बुुजाई    सन्तोभाई
जबतक  रो  दुनियामे ज़िंदा  काम करो मेरे भाई
इतना ज़्यादा  काम  न करना   काम तुझे खा जाई  …सन्तोभाई
लिखना पढ़ना  काव्य बनना  येतो है  चतुराई
काम क्रोध अरु मन बश  करना  अति  कठिन है  भाई  …सन्तोभाई 
समदरको मीठा   करदेना  कार्य कठिन  संतो साईं 
\अपने आपको मीठा करनेमे है अति  कठिनाई  …सन्तोभाई
प्रेमका रस्ता बहुत कठिन है  पूरा  न होने  पाई 
फंस  गया मजनू घोर जंगलमे  फरहाद न पर्वत  लाइ  …सन्तोभाई
भक्ति इक दिन काम आएगी  नबात अच्छी  बतलाई
परवश  होक मरते  देखे  काम न आई  भक्ताई   …सन्तोभाई
मासर काम करो दुनियामे इच्च्छो सबकी भलाई   मासर=अच्छे काम
हो सके  उतनी  मदद करो तुम  छोडो दिलकी बुराई    सन्तोभाई
निहाँ रख्ख  अपने लुत्फको  बाबा  किसे न कहो  हर्षाई    हासिद = ईर्षालु
हासिद तो  जल जाएंगे  लेकिन तुमको  देंगे  जलाई   सन्तोभाई
गरज के  दोस्तों  हो जाते  है  ग़रज़  पते चले जाई 
सच्चा दोस्त  जो  होगा अपना   साथ रहेगा  लड़ाई   …,संतो भाई
प्रेमका तन्तु अति नाजुक है  मत तोड़ो  झटकाई
तुटनेसे  फिर जुड़ता नहीं है  जुड़े तो गाँठ  रह जाई  …   सन्तोभाई

8 responses to “मेरे नग़मा के चंद कलाम पेश है आपकी खिदमत में .

  1. NAREN એપ્રિલ 27, 2016 પર 6:41 એ એમ (am)

    प्रेमका तन्तु अति नाजुक है मत तोड़ो झटकाई
    तुटनेसे फिर जुड़ता नहीं है जुड़े तो गाँठ रह जाई !!! लाजवाब रचना जय हो

  2. pragnaju એપ્રિલ 27, 2016 પર 6:48 એ એમ (am)

    शकुंतला की कथा महाभारत के आदिपर्व में मिलती है।[ शकुन्तला ऋषि विश्वामित्र तथा स्वर्ग की अप्सरा, मेनका, की पुत्री थी। मेनका ने उसे जन्मते ही त्याग दिया था। कण्व ऋषि ने उसे पड़ा हुए पाया और पुत्री के रूप में उसका लालन-पालन किया। एक दिन राजा दुष्यन्त शिकार करते हुए वन में साथियों से बिछड गये। वहाँ भटकते समय उन्होंने शकुंतला को देखा। मोहित होकर उससे विवाह किया और यह वचन देकर लौट गये कि राजधानी में पहुँच कर उसे बुलवा लेंगे। बाद में जब गर्भवती शकुन्तला दुश्यंत के दरबार में गयी, तो राजा ने उसे अंगीकार नहीं किया। क्योंकि दुर्वासा मुनि के शाप के कारण राजा दुश्यंत की दी हुई अँगूठी खो जाने से दुश्यंत शकुंतला को भूल गया था। शकुंतला निराश होकर राजमहल के बाहर निकली उस समय उसकी माँ मेनका उसे उठा ले गई और कश्यप ऋषि के आश्रय में उनके आश्रम में रखा जहाँ शकुन्तला ने एक पुत्र को जन्म दिया। कुछ दिनों के बाद एक मछुआरा मछली के पेट से मिली अँगूठी राजा को भेंट करने आया, जिसको देखते ही दुश्यन्त को शकुन्तला की याद आई। इसके बाद दुश्यन्त ने शकुन्तला का ढूँढना शुरू किया और पुत्र सहित उसे सम्मानपूर्वक राजमहल ले आए। इसके बाद शकुंतला और दुश्यन्त सुख—पूर्वक जीवन बिताने लगे।
    कहा जाता है कि उनके पुत्र भरत के ही नाम पर हमारा देश भारत कहलाया। भरत के वंश में ही पाण्डव और कौरवों ने जन्म लिया तथा उनके ही बीच महाभारत नामक विश्वविख्यात संग्राम हुआ।

    • aataawaani એપ્રિલ 27, 2016 પર 7:16 એ એમ (am)

      प्रिय प्रज्ञा बहन
      आपकी कॉमेंट से मुझे शकुंतलाके बारेमे अच्छी और सही जानकारी मिली . आप जैसी विद्वान् स्त्री शक्तिका मुझे परिचय हुवा यह मेरे लिए गौरव की बात है . इसी लिए मैं परमेश्वरका खूब खूब आभारी हुँ .

  3. aataawaani એપ્રિલ 27, 2016 પર 7:28 એ એમ (am)

    जवां शकुंतला फुलबाडीमे फुलडे चुँटने जाई
    हुवा आकर्षित राजा दुष्यंत गांधर्व लग्न हो जाई ….संतो भाई समय बड़ा हरजाई

  4. Vimala Gohil એપ્રિલ 27, 2016 પર 11:42 એ એમ (am)

    प्रेमका तन्तु अति नाजुक है मत तोड़ो झटकाई
    तुटनेसे फिर जुड़ता नहीं है जुड़े तो गाँठ रह जाई … सन्तोभाई

  5. રીતેશ મોકાસણા એપ્રિલ 30, 2016 પર 4:15 એ એમ (am)

    સરસ કડીઓ છે, અર્થ સભર !!

आपके जैसे दोस्तों मेरा होसला बढ़ाते हो .मै जो कुछ हु, ये आपके जैसे दोस्तोकी बदोलत हु, .......आता अताई

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