Daily Archives: એપ્રિલ 27, 2016

मेरे नग़मा के चंद कलाम पेश है आपकी खिदमत में .

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देख  तपस्या  विश्वा मित्रकी   इंद्रको  इर्षा आई
इन्द्रने  भेजी अप्सरा  मेनका  तपस्या भं हो  जाई   … सन्तोभाई
 ऋतुमती मेनका  ऋषिको भेटि जोरसे बाथ भिड़ाई
मेनका ऋषि  विश्वामित्रसे  गर्भवती  हो जाई  ….सन्तोभाई
शकुन्तलक् जन्म हुवा तब ऋषिको देने आई
ऋषिने साफ़ इंकार किया  तब  कण्व  मुनिके पास जाई  …सन्तोभाई 
छोटी शकुंतला  कण्व मुनिके   आश्रम  में  जब आई 
काम धेनुका  दूध पि करके  जल्द बड़ी हो जाई  ……सन्तोभाई
सब कोई सहाय  करें  बलवानको  निरबलको  न  सहाई
पवन झगावत  अगन ज्वाला  दीपक देत बुुजाई    सन्तोभाई
जबतक  रो  दुनियामे ज़िंदा  काम करो मेरे भाई
इतना ज़्यादा  काम  न करना   काम तुझे खा जाई  …सन्तोभाई
लिखना पढ़ना  काव्य बनना  येतो है  चतुराई
काम क्रोध अरु मन बश  करना  अति  कठिन है  भाई  …सन्तोभाई 
समदरको मीठा   करदेना  कार्य कठिन  संतो साईं 
\अपने आपको मीठा करनेमे है अति  कठिनाई  …सन्तोभाई
प्रेमका रस्ता बहुत कठिन है  पूरा  न होने  पाई 
फंस  गया मजनू घोर जंगलमे  फरहाद न पर्वत  लाइ  …सन्तोभाई
भक्ति इक दिन काम आएगी  नबात अच्छी  बतलाई
परवश  होक मरते  देखे  काम न आई  भक्ताई   …सन्तोभाई
मासर काम करो दुनियामे इच्च्छो सबकी भलाई   मासर=अच्छे काम
हो सके  उतनी  मदद करो तुम  छोडो दिलकी बुराई    सन्तोभाई
निहाँ रख्ख  अपने लुत्फको  बाबा  किसे न कहो  हर्षाई    हासिद = ईर्षालु
हासिद तो  जल जाएंगे  लेकिन तुमको  देंगे  जलाई   सन्तोभाई
गरज के  दोस्तों  हो जाते  है  ग़रज़  पते चले जाई 
सच्चा दोस्त  जो  होगा अपना   साथ रहेगा  लड़ाई   …,संतो भाई
प्रेमका तन्तु अति नाजुक है  मत तोड़ो  झटकाई
तुटनेसे  फिर जुड़ता नहीं है  जुड़े तो गाँठ  रह जाई  …   सन्तोभाई