Daily Archives: એપ્રિલ 21, 2016

બોંતેર કડીઓના ભજનની કેટલીક કડિયો

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भक्त कवि सुरदासका भजन “मैया मोरी में नहीं माखन खायो “इसी ढंगसे  ये भजन  गाया  जाएगा
पापी जनका पाप धोनेको स्वर्गसे गंगा आई
 वोही गंगा खुद मैली हो गई  कौन करेगा सफाई   ….सन्तोभाई समय बड़ा हरजाई 
अति पापिष्ठ  जमारो पारधी   धीवर और कसाई
दुनिया गर मांसाहार छोड़े  सब होव सुख दाई  ..संतो भाई
 मोह माया अरु मन मर जावे अपना जिस्म मरजाई
आदत  आशा  तृष्णा  न मरती  प्राण जाए तब जाई…..सन्तोभाई
विद्या वनिता और   कोई बेली  जात नपुछने जाई
जो रहे नित  उसकी संगतमे  ताहिमे लिपटाई   ….सन्तोभाई
खार चुभनेसे सारी जमिनको चमडेसे न मढ़ाई
चमड़ेकी  जूती पहननेसे खारसे देती बचाई   …सन्तोभाई   खार =कांटे
पराधिनको सुख नहीं मिलता  याद रख्खो  मेरे भाई
चन्द्र  शंकरके  सरपे रहता  पतला  होता जाई  …सन्तोभाई
यारो रंजो मसाइबकी  पर्वा नहीं है   भाई
हौसले रखता हुँ मेरे दिलमे  कष्ट  उठा ले जाई  …सन्तोभाई  रंज = दू:ख
मसाइब =आपत्ति  . कष्ट   होसला हिम्मत

बगैर मरजिके यहाँ  हैयात  मुझे ले आई
न होगी मेरी इच्छा फिरभी इक दिन क़ज़ा  ले जाई  …संतो भाई
हैयात = जीवन  /// क़ज़ा = मृत्यु
धीरजके धरनेसे हाथी मन भर चारा खाई
कुत्ता रोटिके टुकड़े के  कारण  घर घर जाई  …सन्तोभाई
संत जनोंेने  विषया  छोड़ी  मूढ़  तामे ललचाई
ज्यों नर डारत  वमन वमन  कर  कुत्ता स्वादसों  खाई  …संतो भाई
 विषया = विषय  वासना  वमन = उलटी