Daily Archives: ફેબ્રુવારી 1, 2016

कानड़ा तेंतो कामण कर्याँ , भुलवयां भान ने सान हवे भेळो रेजे भगवान , भलो थईने भूधरा

Radha and Krishna

बोलो कृष्ण  कनैयालालकी  जय   . कानाने जसोसा माए  गरसुदिमा  स्ट्रिोने पजववानु पीवडव्यू हशे के  भगवान जाणे पण  कानूडो नानपणथीज  बायडी जातिने  मतलबके स्त्री  जातिने  पजवतो आव्यो छे  .एक वखत जसोदामाने पोते माटी  खड़ी त्यारे  माने  तरण भवनना देखाड़ीदीधा   ,  आंतो इ रेढियाल राखडु तो हतोज  मानु ख्यु भाग्येज माने  एक वखत  हाथ पग माथुं मोढु धूळ धूळ भारयु हतुं रखडीने भुखयो थयो हशे   . एट्ले  दोडतो जसोदा  मा पास आव्यो  आने माने कीधुं  माँ मने कैंक  खावा दे   . माँ कहे जराक जाळव   तारा हाथ पग मोढू धोई   ने आव  हुँ आड़नी   दाऴमाँ  लसणनी चटणी वाटीने  नाख्वानी बाकी छे  . कानो कहे  मारे  हमणाज  जोइए   . एटले  जेम आपणी मायु  आपणा  दुराग्रहने  ताबे थई जति  एम जसोदामा कृष्ण्  ने  ताबे थई गई  ने   तेने  माखण  चोपडीने  रोटलो आप्यो   .
आ प्रसंगने लगतो एक सवैया छंद के जे  अकबरना  वखतमा लश्करनो सेनापति  सैयद  इब्राहिम हतो के जेनु तखल्लुस “रसखान ” हतु  तेणे बनावो छे इ हुँ आपने वाचवा  आपो छू  .
धुरी धरे नित सुंदिर  श्यामजु तैसी  बनी सर ऊपर चोटी
खेलत खात फिरे अंगना  पग पैजनी बाजै पिरि कछोटी  
सोहि कला रसखान  विलोकत  बारहु जात कलानिधि कोटि
कागको भाग  कहा  कहिए  हरी हाथसो ले गयो माखन रोटी
कानो गोपीयूने  पजवे  एना माखण  खाई जाय  एनी पाणी नी मटकियु  फोड़ी नाखे  एवी रीते  गोपीयूने हैरान करवी  कानाने बहुज गमती आने कानानी हेरनगति गोपीयूने पण गमती  . एक वखत   कनाए गोपियूथी अबोला लीधा   . आने गोपियुं मुंजाणी  कानो  रिसाइने  कदमना ज़ाद निचे बैठो हतो  त्यारे  गोपीयू  कानांे विनवणी  करवा  मांडी  अने पोते काना  ना  प्रेम ना  खातर  केटलो भोग आप्यो छे  . वतो करवा लागि  आने इ मतलबनो रासडो  शरू कर्यो  आ रसड़ा  वख्ते  एना तालमा  मेर जवानो डांडिया रास लेता होय आने तमे जोता हो तो   तमने पण रास लेवानु मन थई जाय हो  आने हुँ  तो कुडीज पडू  आने मंडुडांडियारास लेवा   रामलो ढोल  वगडतो कोय आने करसन  खेंगार लंघो  शरणाई  वगाडतोहोय तो बापा अधुरु  नो  रहे  . हवे रासडो वांचो  .
काना  कर दलनी वातडीयु   दलनि वातडियु   दलनी  वातडीयू  ने  माधा कर  मंननी वातडीयू
काना कर  दलनी  वातडीयू
आभ जेवो  मारो बाप मेल्यो  मानी भीनी आँखड़ियु  माताजिनी भिनियु  आँखड़ियु
रदा माँथी  जेणे हेत आप्युं  एवी  भोळीयु बेनडीयू   ….. कानाकर  दलनि
 सासु ससराने में सुतारे मेल्या  नणदू  नानडीयू     .
भाव भरेला  छोड़िया  छाना  देरने  देराणीयु   ,,,  काना
सुरति मेलियु  गायु कानू डा  भम्भरे वाछड़ीयु
घम्मर  वलोंणा उभला रयाताने फुटीयू  तावडीयू  …कान
तारे काजे मेतो परणयो  मेल्यो   पालनी प्रीतड़ियु
प्रीतड़ी  काजे विन्विति मुणे दिन ने  रातडीयू     . काना कर

લાગણીની થેરાપી…rekha patel