मै जब हॉस्पिटलमे दाखिल था. बे चैन था .

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यारो  में जब रंजूर  हो गया  . मुझे मजबूरन  अस्पतालमे  दाखिल होना पड़ा  . तब मैंने इ क  ग़ज़ल  बनाई  जो आपके क़दमोमे पेश करता हुँ    ,,,
मेरी माशूक़  मेरी नज़दीक  बिथदेनेके क़ाबिल है  .
बे वफ़ा खुद गर्ज़  माशूक़  दूर बिठा देनेके क़ाबिल है    १
यारो मै कितना बरखुरदार  हुँ  है नेक दिल माशूक़
संगदिल फ़ितनागर  माशूक़  हटादेनेके क़ाबिल है  २
इलाही कैसी कैसी  नर्सको तूने बनाई है
कोई नर्स  अपने सीनेसे  लगा देनेके क़ाबिल है    ३
“आताई” हॉस्पिटलमे  रह कर  ये सोचता दिलमे
मेरे अंदरुनी छे :(६) दुश्मन  निकल देनेके क़ाबिल है  ४
एक नर्स  जो मेरी बहुत खिदमत  करती थी  . मुझे वो  हर तरहसे  खुश रखती थी  . मैंने  उसको कुछ तुहफ़ा  देनेके लिए  मेरे हाथमे कुछ  नोटे रखकर  उसकी ओर अपना हाथ लम्बा किया    . वो समझ गयी  के मई उसको कुछ देना चाहता हुँ  . वो बोली ये क्या कर रहे हो मुझे कुछ  नही  चाहिए  . मैंने जो आपकी खिदमत की है  उसमे कुछ एहसान नही किया  में  हॉस्पीटलसे  काफी  तनख्वाह  पाती हु मुझे कुछ  नही चाहिए  . इलाही  कैसी  कैसी  नरको तूने बनाई है कोई नर्स  आप-ने सीनेसे लगालेनेके काबिल है  . इक जोक याद आ गया जो आपको में कहना  चाहता  हुँ मैं इस मुल्कमे जब नया आया था  तब मुझे अमरीकी हवा नही लगी थी  में औरतको  हाथ लगाना  और औरत मुझे हाथ लगदे उसको मै शर्म समझता था  उस वक्त  एक नर्सनेमुझे  मादर जाद नंगा करके  गीले तौलियेसे  मेरा बदन साफ़ करती थी  तब मैंने उसे कहा  आज मुझे ऐसा एहसास होता है की में  इक सालका छोटा बच्चा हु और तू मेरी माँ हो  . सुन  कर  वो एकदम  गर्म  हो गयी और बोली  में तेरी माकि बराबर हुँ  ? तूने मुझे अपनी बीबी  और गर्ल फ्रेंड  क्यों नही कहा

One response to “मै जब हॉस्पिटलमे दाखिल था. बे चैन था .

  1. pragnaju ડિસેમ્બર 9, 2015 પર 6:47 એ એમ (am)

    इक रोज़ डॉक्टर से ये मैं ने कहा जनाब
    मुद्दत से कह रहा हूँ मैं नज़्में बहुत ख़राब
    …………………….
    नर्स वह स्त्री होती है जो शिशु का पोषण करती है;
    माँ भी एक प्रकार से नर्स है, जो शिशुओं की अथवा रोगी की देखभाल करता है। ….
    अत: रोगों की रोकथाम में और उनसे पीड़ित लोगों की देखभाल में नर्स का योग बहुत ही महत्वपूर्ण है।
    …………………………………………………………………….
    पढ़िए नए नर्स और मरीज डॉक्टर जोक ,
    . चम्पू (डॉक्टर से)- आपने नर्स बहुत चंगी रखी है, उसके हाथ लगाते ही में ठीक हो गया।
    डॉक्टर- मैं जानता हूं..। थप्पड की आवाज बाहर तक
    …………………………………………..
    एक नर्स का मंगेतर उसे बड़ी हसरत से: जानू काश मुझे कोई हादसा पेश आता तो मैं तुम्हारे वार्ड में भर्ती होता
    और तुम मेरी खिदमत करती और मैं जल्द ठीक हो जाता.
    नर्स: जान तुम्हें मेरे पास कोई हादसा नहीं बल्कि चमत्कार ही ला सकता है
    ये दिल भी अजीब है
    अजीब चीजे करने को कहता है,
    कमी नहीं थी ज़िन्दगी में कहीं
    रूप था ..रंगत थी
    दिल में मोहब्बत थी
    अपनों की चाहत थी…
    लेकिन एक दिन हांथो से रेत फिसल गया
    तब एहसास हुआ
    ज़िन्दगी में सब था ….बस रब नहीं था..!!

    ऐ चारासाज़ सई-ए-मुसलसल फ़ुज़ूल है
    तेरा मरीज़ क़ाबिल-ए-दरमाँ नहीं रहा

आपके जैसे दोस्तों मेरा होसला बढ़ाते हो .मै जो कुछ हु, ये आपके जैसे दोस्तोकी बदोलत हु, .......आता अताई

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