Daily Archives: ડિસેમ્બર 8, 2015

मै जब हॉस्पिटलमे दाखिल था. बे चैन था .

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यारो  में जब रंजूर  हो गया  . मुझे मजबूरन  अस्पतालमे  दाखिल होना पड़ा  . तब मैंने इ क  ग़ज़ल  बनाई  जो आपके क़दमोमे पेश करता हुँ    ,,,
मेरी माशूक़  मेरी नज़दीक  बिथदेनेके क़ाबिल है  .
बे वफ़ा खुद गर्ज़  माशूक़  दूर बिठा देनेके क़ाबिल है    १
यारो मै कितना बरखुरदार  हुँ  है नेक दिल माशूक़
संगदिल फ़ितनागर  माशूक़  हटादेनेके क़ाबिल है  २
इलाही कैसी कैसी  नर्सको तूने बनाई है
कोई नर्स  अपने सीनेसे  लगा देनेके क़ाबिल है    ३
“आताई” हॉस्पिटलमे  रह कर  ये सोचता दिलमे
मेरे अंदरुनी छे :(६) दुश्मन  निकल देनेके क़ाबिल है  ४
एक नर्स  जो मेरी बहुत खिदमत  करती थी  . मुझे वो  हर तरहसे  खुश रखती थी  . मैंने  उसको कुछ तुहफ़ा  देनेके लिए  मेरे हाथमे कुछ  नोटे रखकर  उसकी ओर अपना हाथ लम्बा किया    . वो समझ गयी  के मई उसको कुछ देना चाहता हुँ  . वो बोली ये क्या कर रहे हो मुझे कुछ  नही  चाहिए  . मैंने जो आपकी खिदमत की है  उसमे कुछ एहसान नही किया  में  हॉस्पीटलसे  काफी  तनख्वाह  पाती हु मुझे कुछ  नही चाहिए  . इलाही  कैसी  कैसी  नरको तूने बनाई है कोई नर्स  आप-ने सीनेसे लगालेनेके काबिल है  . इक जोक याद आ गया जो आपको में कहना  चाहता  हुँ मैं इस मुल्कमे जब नया आया था  तब मुझे अमरीकी हवा नही लगी थी  में औरतको  हाथ लगाना  और औरत मुझे हाथ लगदे उसको मै शर्म समझता था  उस वक्त  एक नर्सनेमुझे  मादर जाद नंगा करके  गीले तौलियेसे  मेरा बदन साफ़ करती थी  तब मैंने उसे कहा  आज मुझे ऐसा एहसास होता है की में  इक सालका छोटा बच्चा हु और तू मेरी माँ हो  . सुन  कर  वो एकदम  गर्म  हो गयी और बोली  में तेरी माकि बराबर हुँ  ? तूने मुझे अपनी बीबी  और गर्ल फ्रेंड  क्यों नही कहा