Daily Archives: નવેમ્બર 14, 2015

दिपावली

जबतक रहे तू ज़िंदा  पौष्टिक  खुराक  खाना
इक दिन ज़रूर मरना फिरसे नही है आना
जब तक रहे तू ज़िंदा  कुछ काम करते रहना
काम तुझको मार डाले इतना ज़्यादा न करना
खर्च किया वो धन था तेरा  धन कमालेनेके बाद
बाकी धन खर्चेगा कोई तेरे मरजाने के बाद
खलवत  है  तन्हा में हुँ मुबारक है तेरा आना
तुहफा अगरचे लाना  सहबका खुम लाना
मेरे मय गुसारको भी तुम साथ  लेके आना
साग़र बदल बदल के पि लेना और पिलाना
तौहीन  मयक़देकी  यारो कभी न करना
पीना नही न पीना  सब छोड़ घरको जाना
सब साथ मिलके पीना खुदाको न भूल जाना
“आता ” को साथ लेके मयखाना  सिम्त जाना

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खल्वत = एकांत
तन्हा = एकाकी
मुबारक = शुभ
तुहफ़ा= भेट
सहबा = रक्त वर्णीय  मदिरा   . लाल रंगका शराब
खुम = मटका
मयगुसार = शराबी दोस्तों
सागर = शराब पीनेका प्याला
तौहीन = तिरस्कार
मयकदा = बार
सिम्त  = तरफ

आता  की  ओरसे
सब  दोस्तोको
शुभ दीवाली
साल मुबारक