मोत सबको आनी है कौन उससे छूटा है ,तू फना नही होगा ये ख्याल जुटा है.

मोतने ज़मानेको ये समा दिखा डाला

कैसे कैसे रुस्तमको  खाक्मे मिला डाला  १  .
तू यहाँ  मुसाफिर है  ये सराए फानी है
चार रोज़की मेहमां तेरी जिंदगानी है  .   २
अब न वो हलाकू है  और न उनके साथी है ,
चन्द्र गुप्त पोरस है   और न उनके  हाथी है   .3
कल जो तनके चलते थे  अपनी शान शोकतपर
शमा तक नहीं जलती आज उसकी तुर्बत पर  ४
देख वो सिकन्दरके हौसले तो आली थे
जब गयाथा दुनियासे  दोनों हाथ खाली थे  ५
साँस टूटतेही सब रिश्ते  टूट  जाएंगे
बाप माँ  बहन बीबी बच्चे छूट जाएंगे   ६
तेरे जितने अपने है  वक्तका चलन देंगे
छीन कर तेरी दौलत दो ही गज़ कफ़न  देंगे  ७
लाके कब्रमे तुझको उर्ता पास डालेंगे
तेरे चाहने वाले  तेरे मुँह पे खाक डालेंगे  ८
ज़र जेवर धन दौलत कुछ न काम आएगा
ख़ाली हाथ आया है ख़ाली हाथ  जाएगा

4 responses to “मोत सबको आनी है कौन उससे छूटा है ,तू फना नही होगा ये ख्याल जुटा है.

  1. pragnaju જાન્યુઆરી 7, 2015 પર 6:58 એ એમ (am)

    बहोत खूब
    लाके कब्रमे तुझको उर्ता पास डालेंगे
    तेरे चाहने वाले तेरे मुँह पे खाक डालेंगे
    अच्छी वात है !
    अभी तो ये हाल है
    दबाके कब्रमें चल दीये
    न दुआ न सलाम
    आदमी बदल गये
    इस जमाने में !!
    गालीब कह गये
    कोई मेरे दिल से पूछे तेरे तीर-ऐ-नीमकश को
    ये खलिश कहाँ से होती जो जिगर के पार होता
    … न कभी जनाजा उठता, न कहीं मजार होता

    आज जवानी पर इतरानेवाले कल पछतेगा
    ढलता सूरज धीरे-धीरे ढलता है ढल जाएगा
    ढल जाएगा, ढल जाएगा

    तू यहाँ मुसाफिर है, ये सारे फ़ानी है
    चार रोज़ की महिमा तेरी जिंदगानी है
    तेरी जिंदगानी है, तेरी जिंदगानी है

    धन ज़मीं जर ज़ेवर कुछ न साथ जायेगा
    ख़ाली हाथ आया है, ख़ाली हाथ जायेगा
    ख़ाली हाथ जायेगा, ख़ाली हाथ जायेगा

    जान कर भी अनजाना बन रहा है दीवाने
    अपनी उम्र फ़ानी पे तन रहा है दीवाने
    तन रहा है दीवाने, तन रहा है दीवाने

    इस क़दर तू खोया है इस जहां के मेले में
    तू ख़ुदा को भूला है, फँस के इस झमेले में
    फँस के इस झमेले में, फँस के इस झमेले में

    आज तक ये देखा है, पाने वाला खोता है
    ज़िंदगी को जो समझा, ज़िंदगी पे रोता है
    ज़िंदगी पे रोता है, ज़िंदगी पे रोता है

    मिटने वाली दुनिया का ऐतबार करता है
    क्या समझ के आख़िर तू इसको प्यार करता है
    इसको प्यार करता है, इसको प्यार करता है

    अपनी-अपनी फिकरों में, जो भी है वो उलझा है
    जो भी है वो उलझा है, जो भी है वो उलझा है
    ज़िंदगी हकीक़त में क्या है कौन समझा है
    क्या है कौन समझा है, क्या है कौन समझा है
    आज समझ ले…..
    आज समझ ले, कल ये मौक़ा हाथ न तेरे आएगा
    ओ ग़फलत की नींद में सोने वाले धोका खाएगा
    ढलता सूरज धीरे-धीरे ढलता है ढल जाएगा
    ढल जाएगा, ढल जाएगा
    ढलता सूरज धीरे-धीरे ढलता है ढल जाएगा

    मौत ने ज़माने तो ये समाँ दिखा डाला
    कैसे-कैसे रुस्तम को ख़ाक़ में मिला डाला
    ख़ाक़ में मिला डाला, ख़ाक़ में मिला डाला

    याद रख सिकंदर के हौंसले तो आली थे
    जब गया था दुनिया से दोनों हाथ खाली थे
    दोनों हाथ खाली थे, दोनों हाथ खाली थे

    अब न वो हला-कू है, और न उसके साथी हैं
    जंग-जू व पोरस हैं, और न उसके हाथी है
    और न उसके हाथी है, और न उसके हाथी है

    कल जो तन के चलते थे अपनी शान-ओ-शौक़त पर
    शम्मा तक नहीं जलती आज उनकी तुर्बत पर
    आज उनकी तुर्बत पर, आज उनकी तुर्बत पर

    अदना हो या आला हो, सबको लौट जाना है
    सबको लौट जाना है, सबको लौट जाना है
    मुफलिस-ओ-तवंगर का क़ब्र ही ठिकाना है
    क़ब्र ही ठिकाना है, क़ब्र ही ठिकाना है
    जैसी करनी…
    जैसी करनी वैसी भरनी, आज किया कल पायेगा
    सर को उठाकर चलनेवाले, इकदिन ठोकर खायेगा
    ढलता सूरज धीरे-धीरे ढलता है ढल जाएगा-२
    ढल जाएगा, ढल जाएगा
    ढलता सूरज धीरे-धीरे ढलता है ढल जाएगा-२

    मौत सबको आनी है कौन इससे छूटा है
    तू फना नहीं होगा ये ख़याल झूठा है
    ये ख़याल झूठा है, ये ख़याल झूठा है

    साँस टूटते ही सब रिश्ते टूट जायेंगे
    बाप माँ बहन बीवी, बच्चे छूट जायेंगे
    बच्चे छूट जायेंगे, बच्चे छूट जायेंगे

    तेरे जितने हैं भाई सब वक़्त का चलन देंगे
    छीनकर तेरी दौलत, दो-ही गज़ क़फ़न देंगे
    दो-ही गज़ क़फ़न देंगे, दो-ही गज़ क़फ़न देंगे

    तू ये जिनको कहता है, सब ये तेरे साथी हैं
    क़ब्र है तेरी मंज़िल, और ये बाराती हैं
    और ये बाराती हैं, और ये बाराती हैं

    लाके क़ब्र में तुझको मुर्दा पाक़ डालेंगे
    अपने हाथों से तेरे मुंह पे ख़ाक़ डालेंगे
    मुंह पे ख़ाक़ डालेंगे, मुंह पे ख़ाक़ डालेंगे

    तेरी साड़ी उल्फ़त को ख़ाक़ में मिला देंगे
    तेरे चाहनेवाले कल तुझे भुला देंगे
    कल तुझे भुला देंगे, कल तुझे भुला देंगे

    इसलिए मैं कहता हूँ, खूब सोच ले दिल में
    क्यूँ फंसाए बैठा है जान अपनी मुश्किल में
    जान अपनी मुश्किल में, जान अपनी मुश्किल में

    कर गुनाह से तौबा, आगे बस संभल जाए
    आगे बस संभल जाए, आगे बस संभल जाए
    दम का क्या भरोसा है, जाने कब निकल जाए
    जाने कब निकल जाए, जाने कब निकल जाए
    मुट्ठी बाँधके आने वाले…
    मुट्ठी बाँधके आने वाले हाथ पसारे जाएगा
    धन दौलत जागीर से तूने क्या पाया, क्या पाएगा
    ढलता सूरज धीरे-धीरे ढलता है ढल जाएगा
    ढलता सूरज धीरे-धीरे ढलता है ढल जाएगा
    ढलता सूरज धीरे-धीरे ढलता है ढल जाएगा

  2. vimala જાન્યુઆરી 8, 2015 પર 5:48 પી એમ(pm)

    जीवन की यह सच्चाई नजरों के सामने रखने के लिए

    आताज़ी और प्रज्ञा बहन पर हम भी सदके जावां|

आपके जैसे दोस्तों मेरा होसला बढ़ाते हो .मै जो कुछ हु, ये आपके जैसे दोस्तोकी बदोलत हु, .......आता अताई

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