Daily Archives: જાન્યુઆરી 6, 2015

मोत सबको आनी है कौन उससे छूटा है ,तू फना नही होगा ये ख्याल जुटा है.

मोतने ज़मानेको ये समा दिखा डाला

कैसे कैसे रुस्तमको  खाक्मे मिला डाला  १  .
तू यहाँ  मुसाफिर है  ये सराए फानी है
चार रोज़की मेहमां तेरी जिंदगानी है  .   २
अब न वो हलाकू है  और न उनके साथी है ,
चन्द्र गुप्त पोरस है   और न उनके  हाथी है   .3
कल जो तनके चलते थे  अपनी शान शोकतपर
शमा तक नहीं जलती आज उसकी तुर्बत पर  ४
देख वो सिकन्दरके हौसले तो आली थे
जब गयाथा दुनियासे  दोनों हाथ खाली थे  ५
साँस टूटतेही सब रिश्ते  टूट  जाएंगे
बाप माँ  बहन बीबी बच्चे छूट जाएंगे   ६
तेरे जितने अपने है  वक्तका चलन देंगे
छीन कर तेरी दौलत दो ही गज़ कफ़न  देंगे  ७
लाके कब्रमे तुझको उर्ता पास डालेंगे
तेरे चाहने वाले  तेरे मुँह पे खाक डालेंगे  ८
ज़र जेवर धन दौलत कुछ न काम आएगा
ख़ाली हाथ आया है ख़ाली हाथ  जाएगा