Daily Archives: ડિસેમ્બર 30, 2014

एक पत्थरको जब भगवानकी मूर्तिमें तब्दील करदिया गया. तब वो बुतसाज़ (मूर्ति बनाने वाला )को अश्क बहकर कहता है.

क्यों बनाया भगवान  बनाके मेरा  क्यों किया अपमान
बुतसाज़ क्यों बनाया भगवानजी    १
 पहाड़ोकी छोटी पर था जब मन था मसतानजी   
पंछी मुझ पर बैठ करके गाते मधुरे गान  … बुतसाज़   २
कायाको क़ुर्बान  कर  बनाने देतो मकानजी
हरी होनेके बाद  मुझको  लेने पड़ते दान। …बुतसाज़  ३
काट कुटके खड़ा किया  मुझे पूजने लगे इन्सानजी
मेवा मिसरी भोग लगाके  मांगने  लगे वरदान। …बुतसाज़  ४
चन्दन पुष्प चढ़ाके मेरा खूब किया सनमानजी
हीरा मोतीके  जेवर  डाल मुझे कर दिया  बंदीवान। … बुतसाज़  ५
फिरसे मुझको  पत्थर होना  नही चाहिए सनमानजी
“आता श्री ” मेरी बिनती  सुनो  मुझे रहने  दो पाषान  … बुतसाज़  ६
बुतसाज़= मूर्ति बनाने वाला