Daily Archives: નવેમ્બર 2, 2014

जो दू:खमें काम आवे वही सच्चा दोस्त है .

मेरे अज़ीज़ अहबाब कई साल पहले मुझे इक उर्दू बुक पढ़नेको मिली उसमे इक किस्सा था जो में आपकी खिदमतमे पेश करना चाहता हुँ , दरअसल तो ये मेरी अपनी प्रेक्टिश के लिए है .
किसी जंगलमे खरगोश ,लोमड़ी ,चूहा ,और कौवा. साथ साथ रहते थे ,एक दिन कोई शिकारी कुत्ता खरगोशके पीछे हो लिया ख़र्गोश दौड़ता हुवा पहले चूहेके पास आया ,कुत्तेको देख चूहा बिलमे घुस गया था ख़र्गोसने उसे अपनी मददके लिए ज़ोरसे पुकारा ,बिलसे मुंह निकाल कर चूहेने कहा अरे भाई मुझेतो अपनीही जानका डर है ,तेरी मदद करुँ तो कैसे करुँ ”
बेचारा खरगोश तेजीके साथ आगे बढ़ा और लोमडीको झाड़िमे घुसते देखा ,खरगोशने उसे भी अपनी जान बचानेके लिए पुकारा ,लोमडिने जवाब दिया ,प्यारे भाई !मेरे पाऊंमें दर्द होरहा है , किसी और दोस्तके पास जाओ ,”
पेड़ पर बैठा हुवा कौवा यह सब हाल देख रहा था ,अपने दोस्तको दू :खी देख उससे न रहा गया ,उसने झटसे कुत्तेके सर पर चोंच मारना शुरू किया थोडीही देरमें कुत्तेके सरसे
खून बहने लगा ,आखिर तंग आकर कुत्तेने खरगोशका पीछा छोड़ दिया .
ठीक ही कहा है — दू :खमें जो काम आवे वहि सच्चा दोस्त है .