Daily Archives: ઓક્ટોબર 26, 2014

भूखे गरीब दिलकी खुदासे लगन न हो सच है कहा किसीने भूखे भजन न हो

मेरे प्यारे दोस्तों आज आपको मैं दो छंद आपकी खिदमतमे पेश करुँगा सिर्फ  दो
एक सवैया  और दूसरा कुण्डलिया
सवैया   ।
भुखमे राजको  तेज सब घट गयो ,  भुखमे सिध्धकी रिद्धि हारी   .
भुख्मे कामिनी काम सो तज गई ,भुखमे तज गयो पुरुष नारी
भुख्मे और वहेवर नहीं बन पडत  भुखमे रहत कन्या कुमारी
…………….……………………………………… कहत कवि गंग भजन नहीं बन पड़त  चारोही बेदसे भूख न्यारी
इस छन्दमे  मैं एक लिटी  भूल गयाहु  तो आप सियाने लोगको   मेरी विनती है की आप सूधार ले   .
कुण्डलिया छंद  …
रोटी तुझको रंग है पावत सब संसार
ज्ञानी ध्यानी जोगी जती जब लग ले आहार
जब लग ले आहार पार गति प्रेमकी सूझे  ,
भूख समे कछु बात और नर कबु  न बुझे
कहे कवि गिरिधर राय सब देवनमे मोटी
पावत सब संसार  रंग है तुझको रोटी