Daily Archives: ઓક્ટોબર 22, 2013

ये गीत मैंने अपने बारे में लिखाहै

ये गीत  फ़िल्मी गीत जो राजकपूर गाता है”  में दुनियामे हरदम  रोताही रहा हूँ ” इस कदर गया जाएगा

बुत खानेमे जाता हु बुत परस्त नहीं  हूँ ,बुत परस्त नहीं  हूँ बुत शिकन भी नहीं हूँ  बुत शिकन को में साथ कभी देता नहीं हूँ          बुत खानेमे  १

चर्चो में जाताहूँ इसाई नहीं हूँ इसाई नहीं हूँ  इसाको मानताभी हूँ   दलील बाजिमे कभी उतरता भी नहीं  हूँ                             बुत खाने २

मसजिदमे  जाताहूँ मुसलमान नहीं हूँ  मुस्लमान नहीं हूँ  बे ईमान नहीं हूँ  शेख ना कहेतो मसाजिद में जाता नहीं हूँ                  बुतखाने में ३

अगियारिमे मुझको नहीं जाने देते गबरू  नहीं जाने देते गबरू वरना जरुर जाता हूँ अगर जाता तो आतिश का साजिद होता हूँ         बुतखाने में  ४

आदाब करता सबका किसी एक का नहीं हूँ  किसी एक का नहीं  हूँ  तोहिं न  करता नहीं हूँ  में दर्दे दिल इन्सान हूँ  दरिंदा नहीं हूँ      बुतखाने में  ५

मुफलिस हु मगर मिस्कींन नहीं हूँ  मिस्कीं नहीं हूँ हिम्मत्से रहने वाला हूँ  मूत मवलकी  हसद कभी करता नहि हूँ                 बुतखाने में  ६

में  “आताइ “हूँ कोई अल्लामा  नहीं हूँ  अल्लामा नहीं हूँ  इल्म चाह्ताभी हूँ मूत अल्लिम  हूँ कोई मु अल्लिम नहीं हूँ              बुतखाने में   ७

बुतखाना =मंदिर     बुत परस्त = मूर्ति पूजक    बुत शिकन = मूर्ति तोडनार     मसाजिद = मस्जिदों मसजिद नु बहु बचन    अगियारी = पारसिओनु  मंदिर

गबरू = पारसी   आतिश = अग्नि    साजिद = प्रणाम करेलो नत मस्तक    आदाब = आदर   तोहिंन = अनादर   ,अपमान   दरिंदा = फाड़ी खाना र पशु

मुफलिस = गरीब  मिस्कींन = लाचार , बिचारो  मूत मव्वल = पैसादार   हसद = इर्षा  अल्लामा = मोटो विद्वान  मूत अल्लिम = विद्यार्थी  मु अल्लिम = शिक्षक