गुजरा त का ग़ालिब अमृत “घायल “की उर्दू ग़ज़ल

ये अमृत घायलकी उर्दू ग़ज़ल  मेरा अज़ीज़ हबीब  शकील मुनशिकी महेरबानी से आ पकी खिदमत में पेश करता  हूँ

ये जुट हैकि  कोई शिकायत नहीं रही

सच ये है की उनसे करनेकी नहीं रही   १

दिल चाहता है उनको लिखे ख़त तवील हम

पर क्या करेकी लिखने की ताकत नहीं रही   २

आय दोस्त मयकदे की तारीफ़ करे क्या हम

अब बे हताशा पीनेकी आदत नहीं रही         ३

ये दूर यु हुवाकी करीब और आगया

जैसेकि दरम्यान में फुरकत नहीं रही         ४

गम हो गयाहू इस तरह उनके खयालमे

उनसेभी अब मिलनेकी हसरत नहीं रही    ५

मिलते तो है पर मिलते है  यूँ बेदिलिसे हम

जैसे किसीके दिलमे मुरव्वत नहीं रही       ६                  तवील=लम्बा      फुरकत = वियोग   हसरत =इच्छा   मुरव्वत = प्रेम

4 responses to “गुजरा त का ग़ालिब अमृत “घायल “की उर्दू ग़ज़ल

  1. pragnaju ઓક્ટોબર 19, 2013 પર 7:50 એ એમ (am)

    शुभान अल्लाह
    ये जुट हैकि कोई शिकायत नहीं रही
    सच ये है की उनसे करनेकी नहीं रही १
    दिल चाहता है उनको लिखे ख़त तवील हम
    पर क्या करेकी लिखने की ताकत नहीं रही २
    मत्लाने मार डाला
    याद
    गो हाथ में जुंबिश नहीं, आंखों में तो दम है,
    रहने दो अभी सागरो मीना मेरे आगे।

    आय दोस्त मयकदे की तारीफ़ करे क्या हम
    अब बे हताशा पीनेकी आदत नहीं रही ३
    ये दूर यु हुवाकी करीब और आगया
    जैसेकि दरम्यान में फुरकत नहीं रही ४

    वाह वाह
    तुजे हम वली समजते;
    जो न वादा खुआर होता !
    सुंदर मक्ता
    मिलते तो है पर मिलते है यूँ बेदिलिसे हम
    जैसे किसीके दिलमे मुरव्वत नहीं रही ६
    कसक कोती है.क्या जमाना बदल गया ! अगर ये ज़िद है कि मुझ से दुआ सलाम न हो तो ऐसी राह से गुज़रो जो राह-ए-आम न हो सुना तो है कि मोहब्बत पे लोग मरते हैं ख़ुदा करे कि मोहब्बत तुम्हारा नाम न हो बहार-ए-आरिज़-ए-गुल्गूँ तुझे ख़ुदा की क़सम..
    शुक्रिया आताजी और शकीलजी वापी-जुनागढवाले

  2. Yusuf Kundawala ઓક્ટોબર 19, 2013 પર 8:24 એ એમ (am)

    Attavani Saheb–Gujarat ka Galib EK hi tha aur wo MariZ saihib ko ye Khitab mil chuka hai—With all the respect to Ghayal saheb—Yusuf Kundawala—Dallas,TEX

  3. સુરેશ જાની ઓક્ટોબર 19, 2013 પર 9:22 પી એમ(pm)

    અમૃત ‘ઘાયલ’ – મારા પ્રિય શાયર. મ.ઉ.એ એમની ગઝલોનું એક આલ્બમ બનાવેલું છે ‘અમૃત’ – એક એકથી ચઢિયાતી ગઝલો એમાં સરસ રીતે ગાઈ છે.
    ઘાયલ નો પરિચય-
    http://sureshbjani.wordpress.com/2006/06/25/ghayal/

आपके जैसे दोस्तों मेरा होसला बढ़ाते हो .मै जो कुछ हु, ये आपके जैसे दोस्तोकी बदोलत हु, .......आता अताई

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