Daily Archives: ઓક્ટોબર 19, 2013

गुजरा त का ग़ालिब अमृत “घायल “की उर्दू ग़ज़ल

ये अमृत घायलकी उर्दू ग़ज़ल  मेरा अज़ीज़ हबीब  शकील मुनशिकी महेरबानी से आ पकी खिदमत में पेश करता  हूँ

ये जुट हैकि  कोई शिकायत नहीं रही

सच ये है की उनसे करनेकी नहीं रही   १

दिल चाहता है उनको लिखे ख़त तवील हम

पर क्या करेकी लिखने की ताकत नहीं रही   २

आय दोस्त मयकदे की तारीफ़ करे क्या हम

अब बे हताशा पीनेकी आदत नहीं रही         ३

ये दूर यु हुवाकी करीब और आगया

जैसेकि दरम्यान में फुरकत नहीं रही         ४

गम हो गयाहू इस तरह उनके खयालमे

उनसेभी अब मिलनेकी हसरत नहीं रही    ५

मिलते तो है पर मिलते है  यूँ बेदिलिसे हम

जैसे किसीके दिलमे मुरव्वत नहीं रही       ६                  तवील=लम्बा      फुरकत = वियोग   हसरत =इच्छा   मुरव्वत = प्रेम