Daily Archives: ઓક્ટોબર 14, 2013

ये भजन कबीर साहब का है ? नहीं ये भजन आता साहबका है .

श्री सुरेश जानी  की फ़र्माइस से ये भजन आपकी खिदमत में पेश करता  हूँ

जिसको आप गुजराती  लोकगीत के ढंग  गा सकते हो

सोरठा === सरल स्वभाव निष्कपट मन रहो स्थिर गंभीर

गुरु तुमको मिल जायगा कह गए दास कबीर

सुभान तेरी कुदरत पे कुर्बां न जी  कुदरत पे कुरबान

देखि मैंने सबमे तेरी शान  सुभान तेरी कुदरत पे कुरबान जी ,,,,,,,,,,  १

अजब गजब का देख तमाशा हो गया में  हैरान जी

अनासरका बना खिलौना रामने फूंकी  जान.…सुभान तेरी         २

इस दुनियामे जब तू आया भूल गया भगवानजी

कूड कपटसे   माया बनाके हो गया तू धनवान     …सुभान तेरी३

राम को बन्दा   जब तू भुला सरपे चडा शैतान जी

खराबा तोमे  जा जा करके हो गया तू हेवान        सुभान तेरी ४

बुधा  हुवा कमजोर हुवा तब सहने पड़े अपमान जी

कज़ा आके ले जाएगी तब पड़ा रहेगा सामान           सुभान तेरी   ५

पत्नी दारा सुतने छोड़ा  छोड़ चला तेरा प्राण जी

रिश्तेदारों ने फिर तुझको  भेज दिया  समशान           सुभान तेरी  ६

कर साहब्की बंदगी प्यारे छोड़ तेरा अभिमान जी

कहत कबीरा सुनो भाई साधो  भजते रहो भगवान        सुभान तेरी  ७

आता श्री ने ये भजन बनाकर  कबीरका किया अमां जी

अनपड संतने  निर्भय होकर दिया जगत को ज्ञान           सुभान तेरी     ८