पेश है निदा फाजलिकी गजल

तेरा हिज्र मेरा नसीब है  तेरा गम् ही मेरा हयात है

मुझे तेरी दुरिका गम हो क्यों तू कहीं भी हो मेरे साथ हो

मेरे वासते तेरे नाम पर कोई हर्फ़ आये नही नही

मगर मेरे रु-ब -रु तेरी जात है

तेरा वस्ल  ए मेरी दिल रुबा नही मेरी किस्मत तो क्या हुवा

मेरी माह जुबि येही कम है क्या तेरी हसरतो का साथ है

तेरा इश्क है मुझ पर महरबा मेरे दिलको हासिल है दो जहां

मेरीजान – ऐ –  जान इसी बात पर मेरी जान जाएतो बात है

सोजन्य  हितेश देसाई

6 responses to “पेश है निदा फाजलिकी गजल

  1. Shakil Munshi ઓગસ્ટ 29, 2013 પર 9:55 પી એમ(pm)

    વાહ .. મુ.આતા મજા આવી……નીદા ફાઝલી ની એક બહુજ મશહુર ગજલ…

    कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता
    कहीं ज़मीन तो कहीं आसमान नहीं मिलता

    जिसे भी देखिये वो अपने आप में गुम हैं
    ज़ुबाँ मिली हैं मगर हमज़ुबाँ नहीं मिलता

    बुझा सका हैं भला कौन वक्त के शोले
    ये ऐसी आग हैं जिस में धुवां नहीं मिलता

    तेरे जहाँ में ऐसा नहीं कि प्यार न हो
    जहाँ उम्मीद हो इसकी, वहाँ नहीं मिलता – : निदा फाझली

  2. Shakil Munshi ઓગસ્ટ 30, 2013 પર 5:16 એ એમ (am)

    इंशा अल्लाह, welcome to India advance !!!

  3. Vinod R. Patel ઓગસ્ટ 30, 2013 પર 11:16 એ એમ (am)

    तेरा हिज्र मेरा नसीब है तेरा गम् ही मेरा हयात है

    मुझे तेरी दुरिका गम हो क्यों तू कहीं भी हो मेरे साथ हो

    આતાજી …નીદા ફાઝલી ની મશહુર ગજલનો આસ્વાદ કરાવવા માટે આભાર

    શ્રી શકીલભાઈએ પોસ્ટ કરેલી આ જ ગઝલકારની બીજી મશહુર ગઝલ પણ ખુબ ગમી . ।

  4. હિમ્મતલાલ ઓગસ્ટ 30, 2013 પર 10:01 પી એમ(pm)

    પ્રિય વિનોદ ભાઈ
    આપની પત્નીઓ આપની સાથે નથી પણ કોઈ વખત આપન ને આપની પાસે હોય એવો ભાસ થતો હોય છે
    સ્વપ્ન દ્વારા કે વિચારો દ્વારા

आपके जैसे दोस्तों मेरा होसला बढ़ाते हो .मै जो कुछ हु, ये आपके जैसे दोस्तोकी बदोलत हु, .......आता अताई

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