Daily Archives: ઓગસ્ટ 24, 2013

ये गजल मेरे मयगुसार ( शराबी दोस्तो)के लिए है

ये मेरा वसीयत नामा है  मेरे अज़ीज़ अह्बाब्को  ख़ास करके मेरे बेटे सुरेश जानी को मेरी इल्तजा है की  में जब मर जाउगा  तब आप लोग  जो सोलहवा संस्कार जो अग्नि संस्कार है वो करने वाले हो ,तो मुझे जलादेनेसे पहले ये मेरा दिल निकल लेना क्योकि ये दिलका अब में मालिक नहीं हु उसका मालिक  मेरी परीशा गेसुवाली ,कातिल तबस्सुम वाली ,दिल चश्प हुस्न वाली मेरी माहलका है

मरजाऊ  जब में यारो मेरा दिल निकाल लेना मेरी माह जव्बी है मालिक जला साथमे न देना   …।

एक और इल्तजा है मेरे मर जानेके बाद किसीको रोना नहीं है  लेकिन मेरी चन्द्र मुखी  प्रेमिका  मेरा वियोग सहन नही करने  के सबब  उनकी नीली आन्खोमेसे गं गा  जम्नके पानी जैसी रवानी होगी  तो वो आन्सुका कटोरा भर लेना।

मरजाऊ जब में यारो मातम नहीं मना ना  उठा के जनाज़ा मेरा  नगमा सुनाते जाना

लाके लहदमें मुझको उल्फत के साथ रखना इत्तर के बदले  मेरी माशूक का अश्क  छिडकना  २

तुर्बत पे मेरी आना  शम्मा नहीं जलाना  दोस्ताना गर है दोस्तों  बोतल शराब लाना       ३

“आता”को याद करना  मदिरा से जाम भरना  सागर बदल बदल के  पि लेना और पिलाना