નવો પ્રયોગ

હવેથી નવા લેખ બીજા નમ્બરે આવશે.

પહેલા…..

બૃહસ્પતિ!

One response to “નવો પ્રયોગ

  1. pragnaju જાન્યુઆરી 18, 2013 પર 4:23 પી એમ(pm)

    आप ब्लोगर दुनियामें बृहस्पति हो और हमारा होसला बढ़ाते हो . जैसे आप कहेते हो………………………………
    जीवन के दुखों से, यूँ डरते नहीं हैं
    ऐसे बचके सच से गुज़रते नहीं हैं
    सुख की है चाह तो, दुख भी सहना है, एक हज़ारों …

    बृहस्पति के बारेमें जाने

    बृहस्पति देवताओं के गुरु हैं और उन्हें ब्रह्मा की सभा में बैठने का अधिकार है। उनका शौक ब्राह्मण जैसा हैं, उन्हें पवित्र व दैवीय गुणों से युक्त माना जाता है। वे शिक्षक हैं, उपदेशक हैं और धर्म-कर्म इत्यादि के प्रवक्ता हैं। सभी गुरुओं में, धर्माचार्यों में, न्यायाधीशों में, अमात्य व मंत्रियों में और वित्त से संबंध रखने वाले व्यक्तियों में बृहस्पति का अंश है। ये ज्ञान और सुख स्वरूप हैं, गौर वर्ण हैं, इनके प्रत्यधि देवता इन्द्र हैं और इन्हें पुरुष ग्रह माना जाता है। इनकी सत् प्रकृति, विशालदेह, पिंगल वर्ण केश और नेत्र, कफ प्रकृति, बुद्धिमान और सभी शास्त्रों के ज्ञाता हैं। शरीर में वसा या चर्बी पर इनका अधिकार है। मधुर वस्तुओं पर उनका अधिकार है। संसार भर के कोष पर उनका अधिकार है। पूर्व दिशा में बलवान हैं तथा यदि दिन में जन्म हो तो यह अधिक शक्तिशाली माने गए हैं। फल वाले वृक्षों को भी बृहस्पति उत्पन्न करते हैं। गुरु के वस्त्र पीले हैं और हेमन्त ऋतु पर इनका अधिकार माना गया है। इन्हें कर्क राशि में उच्च का, मकर राशि में नीच का और धनु राशि में मूल त्रिकोण का माना गया है। ग्रहमण्डल में सूर्य, चंद्रमा और मंगल इनके मित्र माने गए हैं। शनि सम माने गए हैं और बुध शत्रु माने गए हैं।
    किं कुर्वन्ती ग्रहा सर्वे यदि मध्ये बृहस्पति ?

आपके जैसे दोस्तों मेरा होसला बढ़ाते हो .मै जो कुछ हु, ये आपके जैसे दोस्तोकी बदोलत हु, .......आता अताई

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