Daily Archives: ડિસેમ્બર 20, 2012

गलत है जाम दिलोंको करार देता है

मै शराबी नहीं हूँ ,जबतक हो सके शराब्को छूता तक नहीं हूँ एक गज़ल लिखता हूँ ,ये आपका और मेरा मन बह्लानेके लिए है .ये हकीक़त नहीं है .सच पूछा जाय तो शायर लोग ऐसी बाते करते रहते है .ये मैंने सच्चाई आश्करा कर दि .तो आप मेरी ये गज़ल पड़े .
शीरीं जुबां से आ ,मुस्कुराती हुई आ
और मुझ जैसे प्यासेको आबेअंगुर पिलाके जा
साकी पिलादे आज तू मुझको गमका मारा आया हूँ ,गमका मारा आया हूँ और रंजका हारा आया हूँ ….1
सिर्फ दो बूंद मै पी लूँगा और ज़ख्मे जिगरको सी लूँगा कसम है तेरी ज्यादा पीयूँ तो तोबा करके आया हूँ ,,2
दैरो हरम में जाकर आया कहीं मिटा नहीं गम मेरा जा पहुंचा जब मय खानेमे साकिसे सुकूं पाया हूँ ……3
मुझको साकी पीना मंजूर रंजूर होना रास नहीं ,आज पिलादे ओक्से साकी पैमाना नहीं लायाहूँ ………4
पैमाना नहीं लाया घरसे खाली हाथों आया हूँ आज पिला तेरी आंखसे साकी बदमस्त होने आयाहूँ …….5
अहबाबने मुझको छोड़ दिया है माशूकने भी छोड़ा है “आता “को है तेरा सहारा दुनियासे ठुकराया हूँ ….6 शीरीं =मीठी आबेअंगुर =शराब रंज=दू:ख
दैरो हरम = मंदिर मस्जिद ओक = खोबो सुकूं =आराम ,मजा रंजूर =बिमार बदमस्त =कामुक अहबाब =मित्रो
हो सकता हैकि इज गजल में कोई रचनामे शब्दोमे मेरी भूल हो तो मेरी भूल सुधारके मुझे आभारी करना . मई और दुनियामे कोई सबको खुश नहीं कर सकता .
मेरी ये गजल किसीको ना पसंद भी आय मगर मुझे तो पसंद है और मरे जैसे रंगीन मिजाज वालेको पसंद पड़ेगी धन्यवाद ,