Daily Archives: ઓક્ટોબર 17, 2012

संतोभाई समय बड़ा हरजाई #2——नंगे पैर

इक पटेल गुजराती सपुतने श्रीजिसे माया लगाई ,श्रीजी आके ह्र्दय बिराजे तब मंदिर कई  बनजाई …….संतोभाई 11

अमरलोकसे आई गंगा करने पाप धुलाई वोही गंगा अब मैली होगई कोंन करेगा सफाई …………………..संतोभाई ..12

अति हिंसक इन्सान पाराधि धीवर और कसाई ,

नबाती यन हो जावे दुनिया सब कोई रहे सुख दाई ……..संतोभाई  13

प्याज़्का था जब बुरा ज़माना लोक मुफत लेजाई ,वोही प्याज़ अब महंगी हो गई गरिबसे खाई न जाई …..संतोभाई .13

नंगे पैर बकरियाँ चराई कालेज डिग्री पाई कोलगेट ने उस्की कला परख कर नई नई शोध करवाई …….संतोभाई .14

पानी भरकर बर्तन सरपर दोड्की हुई हरिफाई जवां लड़कियाँ पीछे रह गई ,भानु पहली आई ………….संतोभाई .15

बेर बबुलकी झाड़ी के बिच सोनेवाला अताई ,वोही अताई अमरिका आया देखो कैसी जमाई …………..संतोभाई 16

गोरधनभाई पोपटने इक दिन सिंहन मार गिराई ,अब गोरधनभाई निर्बल होगए मक्खी  उड़ाई न जाई ..संतोभाई .17

हिलमिलके सब रहो जगतमें इच्छो सबकी भलाई ,इन्सानियत से इश्क़ बढ़े गा सब होंगे भाई भाई ..संतोभाई .18

घरमें बैठ लिखता पढ़ता यार्डमें  करता सफाई ,सुरेशजानीने उस्की कलाको जगमश्हुर कराई …..संतोभाई ..19