Daily Archives: ઓક્ટોબર 16, 2012

संतो भाई समय बड़ा हरजाई #1(राम लछमन )

आपको एक नग्मा पेश करने जा रहा हूँ .उसके पहले संस्कृत अनुष्टुप छंद ,और इक दोहरा पेश करूँगा. नग्मा (भजन )सूरदास का  मशहूर भजन “नाथ कैसे गजको बंध छुडायो ” ईस  ढंगसे गाया जा सकेगा .

छंद —प्लवन्ते पस्तारा नीरे , मानव :घन्नंती  राक्षसं , कपय :कर्म कुर्वन्ति कालस्य कुटिला गति :

दोहरा —-समय समय बलवान है नहीं पुरुष बलवान ,काबे लूँ टी  गोपिका येहि अर्जुन येहि बान

भजन–संतो भाई समय बड़ा हरजाई समयसे कोंन बड़ा मेरे भाई संतो भाई समय बड़ा हरजाई ….1

राम अरु लछमन बन बन भटके संगमे जानकी माई ,कांचन मृगके पीछे दोड़े सीता हरन कराइ …….संतो भाई  2

सुवर्ण मयी लंका रावनकी जाको समंदर खाई ,दस मस्तक बीस भुजा कटाई इजज़त ख़ाक मिलाई ….संतो भाई 3

राजा युधिष्ठिर द्युत क्रीड़ामें हारे अपने भाई, राज्यासन धन सम्पति हारे द्रोपदि वस्त्र हराई …………..संतोभाई  4

योगेश्वरने गोपिगनको भावसे दिनी विदाई , बावजूद अर्जुन था रक्षक बनमे गोपी लूँटाई ……………..संतोभाई  5

जलारामकी परीक्षा करने प्रभु आये वरदायी ,साधूजनकि सेवा करने पत्नी दिनी विरबाई ………….संतोभाई 6

आज़ादिके लिए बापूने अहिंसक लड़त चलाई ऐसे बापुके सिनेपर हिंसाने गोली चलाई …………….संतोभाई 7

देशींगा दरबार नवरंगसे गदा निराश न जाई ,समा पल्टा जब उस नवरंग्का  बस्तीसे भिक मंगाई …संतो भाई 8

सुन्नी सद्दाम हुसेनको समयने गद्दी दिलाई कुर्द शियाको मार दिए जब ,समयने फ़ांसी दिलाई …संतोभाई   9

विक्रमके दादाकी  तनखा माहकी बारा रुपाई ,विक्रम खुदकी एक मिनिटकि बढ़ कर बारा रुपाई …संतोभाई  10