नगमा -ए -नरेशकुमार “शाद ”

तुझको गुलरुख देखा  जब मयनोश होजाना पडा

गुलसितांको मयकदा बरदोश होजाना पड़ा ……1

अल्ला अल्ला  जज्बाए बेईखत्यारे  आरजू

आज उन्हें खुद  मुझसे हमआगोश  होजाना पड़ा …2

साक़िया तेरी नज़रकी  लाज रखने  के लिए

होशमे  होते हुवे मदहोश होजाना  पड़ा ….3

हुस्नने जिस वक्त उठाई अपने चेहरेसे  नकाब

मुझको अपने आपसे रूपोश होजाना  पड़ा …..4

आजकल्के पारसओंकी  रविशको देखकर

इन्तेकामन ” शाद “को मयनोश होजाना पड़ा 5

One response to “नगमा -ए -नरेशकुमार “शाद ”

  1. pragnaju સપ્ટેમ્બર 8, 2012 પર 6:18 એ એમ (am)

    साक़िया तेरी नज़रकी लाज रखने के लिए

    होशमे होते हुवे मदहोश होजाना पड़ा
    वाह
    याद
    साक़िया इक नज़र जाम से पहले पहले
    हम को जाना है कहीं शाम से पहले पहले

    ख़ुश हुआ ऐ दिल के मुहब्बत तो निभा दी तूने
    लोग उजड़ जाते हैं अंजाम से पहले पहले

    अब तेरे ज़िक्र पे हम बात बदल देते हैं
    कितनी रग़बत थी तेरे नाम से पहले पहले

    सामने उम्र पड़ी है शब-ए-तन्हाई की
    वो मुझे छोड़ गया शाम से पहले पहले

आपके जैसे दोस्तों मेरा होसला बढ़ाते हो .मै जो कुछ हु, ये आपके जैसे दोस्तोकी बदोलत हु, .......आता अताई

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