जदन बाण रामे ग्रहयो

राम को रुषी विश्वामित्र  अपनी साथ  त्रास दायक  राक्षसों का संहार करने के लिए ले गए थे रामकी साथ लछमन भी था .वहा रुषिने धनुर्विद्या भी सिखाय

एक दिन  रुषी  विश्व मित्रको मालूम हुवा की राजा जनक  अपनी पुत्री सीता का स्वयं वर रखने वाला है तो वहा . राम और  लाछमंको लेके  विश्वामित्र गए

राजा जनक की पास शिवजीका  धनुष  था  वो धनुष को कोई उठा नहीं सकता था  एक दफा  सिताने साफ सफाई करते वक्त  धनुशको हटाकर बाजु पे रखा दिया

इसी  कारन सबको बड़ी ताज्जुबी हुई . खासतो राजा जनकको  इसके बावजूद राजा जनकने नक्की किया  की  जो वीर पुरुष इस  धनुशको उठाके बान चड़ा सके

वोही सीताका पति बनेगा और सीता उसीके गलेमे वरमाला डालेगी .

फिरतो बड़ी धाम धूम से स्वयंवर रचा गया . और  भारतके कोने कोने से  सीताको पानेके लिए  राजकुमारों आये जिसमे एक रावन भी था .सबने धनुष उठाने ka प्रयास किया .लेकिन कोई महावीर धनुष उठा नहीं पाया . रामने विश्व मित्र से कहा अगर आज्ञा होतो में  धनुष उठाने जाऊ .रुषिने  हा बोला और राम धनुष उठाने गए

और एकदमसे धनुष उठा लिया .वोह समय विश्वमे  क्या हल चल मच गई उसका वर्णन  कविओने  कैसा किया है .इस मतलाबका छंद मै आपके आगे पेश करता हु .      जदन बाण रामे ग्रहयो   तब ध्यान चुक गयो मुनियांको

खग पशु भे भये और जिव अक्लायो जलको

तज गई सन्नारी सेज तेज भानन में न रह्यो

इतनो काम रामे कर्यो के जदन बाण रामे ग्रहयो

7 responses to “जदन बाण रामे ग्रहयो

  1. pragnaju જુલાઇ 14, 2012 પર 1:51 પી એમ(pm)

    भौतिक मनोकामनाओं की पुर्ति के लिये बजरंग बाण का अमोघ विलक्षण प्रयोग …
    अब शुद्ध उच्चारण से हनुमान जी की छवि पर ध्यान केन्द्रित करके बजरंग बाण का जाप प्रारम्भ करें। …..
    रामे चित्तलयः सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर रामे चित्तलयः सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर रामे चित्तलयः सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर रामे चित्तलयः सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर रामे चित्तलयः सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर रामे चित्तलयः सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर रामे चित्तलयः सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर

  2. aataawaani જુલાઇ 14, 2012 પર 2:48 પી એમ(pm)

    પ્રજ્ઞાબેન બજરંગ બાણ વિષે હું જાણતો નહતો તમારા તરફથી જાણવા મળ્યું .પ્રયોગ કરવાજેવો ખરો .
    બેન તમે મારો जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी નો પહેલો ભાગ વાંચ્યો ?એ મુખ્ય હતો .

  3. SB જુલાઇ 16, 2012 પર 8:24 પી એમ(pm)

    रामने विश्व मित्र से कहा अगर आज्ञा होतो में धनुष उठाने जाऊ .रुषिने हा बोला और राम धनुष उठाने गए ।

    આતા દાદા આ જે લાઈન છે એ બદલી શકો છો ? રામ પોતે તૈયાર નહોતા થયા. ગુરૂ એ જ કિધું તૂ ટ્રાય કર. રામ જેવો ઉંચા ચરિત્રનો માણસ, ગુરુ બેઠા હોય તો મર્યાદા ભંગ ના કરે. ભલે એ બધુ કાયદે સરનું હતું.

    • aataawaani જુલાઇ 16, 2012 પર 8:35 પી એમ(pm)

       તમારી વાત માનવા જેવી ખરી આ લાઈન કેવી રીતે બદલી સહાય  હવે મોડું થઇ ગયું. હવે તો  મારા ધનુશ્માં થી બાણ વછૂટી ગયું .આ વાતના અનુસંધાનમાં તમને મારો દોહરો વાંચવા આપું . સુરા સાપ ને સુદ ખોર આશાને અનુ માન એટલા ન હોય આપણાં છુટેલ તીર કમાન  આતા  

        Ataai ~sacha hai dost hagiz juta ho nahi sakta   jal jaega sona firbhi kaalaa ho nahi sakta                Teachers open door, But you must enter by yourself.

      ________________________________

  4. pragnaju જુલાઇ 17, 2012 પર 7:37 એ એમ (am)

    ભૂતકાલ સબ ભૂલકર એક પલ વિશ્વાસ કરલે બંદે

    ખોજ્યો હોય તુરત મિલી જાઉં પલભર કી તલાશ મેં
    કહત કબીર સુનો ભાઈ સાધો, મૈં તો હૂઁ વિશ્વાસ મેં.

आपके जैसे दोस्तों मेरा होसला बढ़ाते हो .मै जो कुछ हु, ये आपके जैसे दोस्तोकी बदोलत हु, .......आता अताई

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