Daily Archives: જુલાઇ 14, 2012

जदन बाण रामे ग्रहयो

राम को रुषी विश्वामित्र  अपनी साथ  त्रास दायक  राक्षसों का संहार करने के लिए ले गए थे रामकी साथ लछमन भी था .वहा रुषिने धनुर्विद्या भी सिखाय

एक दिन  रुषी  विश्व मित्रको मालूम हुवा की राजा जनक  अपनी पुत्री सीता का स्वयं वर रखने वाला है तो वहा . राम और  लाछमंको लेके  विश्वामित्र गए

राजा जनक की पास शिवजीका  धनुष  था  वो धनुष को कोई उठा नहीं सकता था  एक दफा  सिताने साफ सफाई करते वक्त  धनुशको हटाकर बाजु पे रखा दिया

इसी  कारन सबको बड़ी ताज्जुबी हुई . खासतो राजा जनकको  इसके बावजूद राजा जनकने नक्की किया  की  जो वीर पुरुष इस  धनुशको उठाके बान चड़ा सके

वोही सीताका पति बनेगा और सीता उसीके गलेमे वरमाला डालेगी .

फिरतो बड़ी धाम धूम से स्वयंवर रचा गया . और  भारतके कोने कोने से  सीताको पानेके लिए  राजकुमारों आये जिसमे एक रावन भी था .सबने धनुष उठाने ka प्रयास किया .लेकिन कोई महावीर धनुष उठा नहीं पाया . रामने विश्व मित्र से कहा अगर आज्ञा होतो में  धनुष उठाने जाऊ .रुषिने  हा बोला और राम धनुष उठाने गए

और एकदमसे धनुष उठा लिया .वोह समय विश्वमे  क्या हल चल मच गई उसका वर्णन  कविओने  कैसा किया है .इस मतलाबका छंद मै आपके आगे पेश करता हु .      जदन बाण रामे ग्रहयो   तब ध्यान चुक गयो मुनियांको

खग पशु भे भये और जिव अक्लायो जलको

तज गई सन्नारी सेज तेज भानन में न रह्यो

इतनो काम रामे कर्यो के जदन बाण रामे ग्रहयो